22 अप्रैल 2017

ये भी भारत

बेरोजगार युवको के यहाँ वहा भटकते कृशकाय ढांचे, जिनके चेहरों पर वर्षों की हताशा और निराशा ने समय पूर्व ही  झुर्रियां डाल रखी है, सड़क किनारे बिखरा कूड़ा और उसमें भोजन का जुगाड़ करते कुछ अत्यंत मैले कपड़ो में भूख से परेसान लोग और पोलीथिन सहित कुछ जूठन खाने को आतुर आवांरा पशु – ये भी हमारी भारत माँ की एक तस्वीर है,
मंदिर के पास कूड़े का ढेर, गन्दगी में बसे हुयी बस्तियाँ और उसमे रहने वालें हजारो लोगो की पानी के लिए लगती लम्बी कतारे, और कतार दृष्टी से देखते उनके स्कूल न जाने वाले बच्चे, इस भीषण गर्मी में एयर कंडीशन कार में बैठे लोगों से भीख मांगती वो औरत जिसे बिलकुल परवाह नही की उसके बच्चे को कितनी धूप लग रही है- क्या भारत माँ का एसा दृश्य आपके सामने से नही गुजरा,
किसानों का पर्यायवाची बन चुका गरीबी आत्महत्या, देश के पोर पोर को चबाता कर्मचारियों का भ्रष्ट आचरण, गन्दी राजनीती चमकाने के लिए सरकार की सही नीतियों का भी विरोध करने वाले नेता, दामन को साफ़ रखने के चक्कर में सिपाहियों की भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज का दमन करते अधिकारी, - क्या आपने कभी नही महसूस किया भारत माँ का यह दर्द

देश की सम्पति लूटने वाले नेता और सजा पाए बाहुबली को सिर्फ टी.आर.पी. के लिए महिमा मंडित करता न्यूज़, और ऐसे देशद्रोही सजायाफ्ता लोगों के पीछे तलवे चाटते समर्थक, कमजोरों के लिए भावना खोते जा रहे लोग –क्या यही हमारे सपनो का भारत है?.. 

27 मार्च 2017

हमारी जीवनदायनी


 हमारी जीवनदायनी

 जिस तरह आज 21 वी सदी के पूर्वाध में कुछ प्रबुद्ध भारतीय 3 तलाक का विरोध कर रहे है, उसी तरह 19 वीं सदी के पूर्वार्ध में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा का विरोध किया था ,समाज में व्याप्त कुरीतियाँ ; अमानवीय सोच की पराकाष्ठा है /
ये सामजिक कुरीतियाँ किसी एक विशेष संप्रदाय में ही नही वरन ये व्यापक रूप से हमारे आपके अन्दर पैठ बना चुकी है,
हम सब को अहसास ही नहीं होता की हमारी मानसिकता किसी दुसरे व्यक्ति के लिए कैसी निकृष्ट होती जा रही है, अहसास हो भी तो कैसे जबकि हमें ये बताया ही नहीं गया हो की मर्यादित स्थिति क्या है ; अहसास तो तब होता है जब खुद पर गुजरती है, हमारे खुद के समाज में इसे तमाम उदहारण पटे पड़े है आप एक बार आँखे खोल के देखिये समझ आ जायेगा, हम दिन बा दिन अमानवीयता के नए नये परचम लहरा रहे है, किसी को फुर्सत नही होती की एक एक्सिडेंटल आदमी को हॉस्पिटल पहुच दे/
तो ये बता रहा था की  ये सामजिक कुरीतियाँ किसी एक विशेष संप्रदाय में ही नही वरन ये व्यापक रूप से हमारे आपके अन्दर बैठी हुई है, हमको हमेशा ही किसी ऐसे व्यक्ति की जरुरत होती है जो हमको इन कुरीतियों के बारे में बता सके , जिस तरह आज कुछ मंद अक्ल लोग तीन तलाक के समर्थन में है उसी तरह कमोबेश 200 साल पहले भी कुछ मंद अक्ल धार्मिक ठेकेदारों ने सती प्रथा को ख़तम करने का विरोध किया था, 2शताब्दी पहले यह सुधार बैंटिक के हाथो में था आज यह सुधार मुख्यतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हाथों में है/
प्रगति के सिद्धांतो के अनुसार ‘सभी समाज को समय के अनुसार अवश्य बदलना होता है, कोई भी समाज न जड़ था; न जड़ हो सकता है’  किसी भी स्थिति में आदमी को तब पवित्र ग्रंथों शास्त्रों और विरासत में मिली परम्पराओं से हट जाने में नहीं हिचकिचाना चाहिए जब मानवीय तर्क शक्ति का वैसा तकाजा हो और वो परम्परायें समाज के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही हों,
नए और पुराने दृष्टिकोण में टकराव होना कोई नयी बात नहीं है , और टकराव होना भी चाहिए क्योकि समाज को तो वही चाहिए जो समाज के हित में हो लेकिन वो टकराव केवल मतभेद के रूप में होने चाहिए, खुले मन और संकुचित विचारधारा का टकराव होगा तो परिणाम या तो नगण्य होगा या तो विध्वंशक और हमे दोनों ही नहीं चाहिए, हमे जरुरत नहीं है न्यूज़ चैनल पर आके चिल्लाने वालो की हमें राज्यसभा टीवी के जैसे बौद्धिक डिबेट करने वालों की जरुरत है,
इतिहास में जब भी कभी समाज में मानवता को नष्ट करने वाली कुरीतियों के निदान की शुरुवात हुई है इन्ही कुरीतियों को बचने वाले भी खड़े हुए है जिसकी वजह शायद यह है की इन्हें महसूस ही नहीं होता की ये बुराईयाँ है, उदहारण के तौर पर कोई बाहरी व्यक्ति ही आपको बता सकता है की आपके घर के पास के नाले में अजीब दुर्गन्ध है वो दुर्गन्ध आपको इसलिए महसूस नहीं हो रही क्युकी आपका दिमाग उस दुर्गन्ध को आत्मसात कर चुका है/ सामाजिक बुराई हटने के बाद विरोधी भी महसूस करते है की हमने किस रोग को पाला हुआ था/
आज अगर नयी पीढ़ी की किसी व्यक्ति को सती प्रथा के बारे में बताओ तो निश्चय ही वो आश्चर्य व्यक्त करेगा,
और जहा तक पवित्र ग्रंथो की बात है न तो किसी स्त्री को जबरन सती करने का प्रावधान कही पर था और न ही तीन तलाक का ऐसा मौजूदा स्वरुप ,

बात यहाँ पर किसी धर्म विशेष की नहीं; एक जीती जागती औरत की है  जो किसी धर्म में होने के पहले एक जिन्दा मनुष्य है ,एक जीवनदायनी है उसे न तो जबरन जिन्दा जला देना सही था और न ही एकतरफा तलाक़ दे कर 3 महीने में उसे बेसहारा छोड़ देना सही है,

16 जनवरी 2017

ठंडे बस्ते में जांच कमेटियां

कानपुर रेल हादसे ने एक बार फिर सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी है। लोग मरते रहें, हादसे होते रहें, इससे सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार को पता है कि ऐसे हादसों के बाद एक जांच कमेटी गठित करनी है। जिसकी रिपोर्ट भी उनके ही पाले में रहेगी। येही होता है रेलवे सुरक्षा के नाम पर बनाई गई हर कमेटी का अंजाम।

साल 2011 में रेलवे सुरक्षा उपायों पर तत्कालीन रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने डॉ. अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। वर्ष 2013 में कमेटी की सौंपी गयी रिपोर्ट में रेलवे सेफ्टी अथॉरिटी का गठन, रेलवे रिसर्च एंड डेवलपमेंट काउंसिल बनाने का सुझाव दिया गया था। इसके अलावा स्टेशन मास्टर, असिस्टेंट स्टेशन मास्टर, असिस्टेंट लोको पायलट, गैंगमैन, कीमैन, प्वाइंटस मैन जैसे सुरक्षा स्टॉफ की कमी दूर करने समेत 106 अहम सुझाव दिए थे।
काकोदकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ट्रैक और रोलिंग स्टॉक का रखरखाव बढ़ाने, कलपुजरे की कमी दूर करने और प्रशासनिक ढांचे में सुधार के लिये 5 सालों में 1.40 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत बताई थी। काकोदकर कमेटी से पहले भी कई कमेटियां बनी हैं। लेकिन उनके सुझावों पर भी अमल नहीं हुआ। 1962 में गठित कुंजरू कमेटी, 1968 में बांचू समिति, 1978 में सीकरी समिति, 1998 में खन्ना समिति ने भी रेल में सुधार और यात्रियों की सुरक्षा के ठोस उपाए सुझाए थे।
सभी कमेटियों ने दुर्घटना की मुख्य वजह शॉर्ट सर्किट, असुरक्षित क्रॉसिंग, ट्रेन का पटरी से उतरना, रेलवे स्टाफ की कमी, सामान में खामियां, टक्कर को माना था लेकिन तमाम सुझाव ठंडे बस्ते में डाल दिए गए।
अब कानपुर रेल हादसे के बाद सवाल फिर से वही खड़ा हो रहा है कि आखिर इन कमेटियों का क्या फायदा। क्यों बनाई जाती हैं इस तरह की कमेटियां? एक सवाल और कि आखिर सरकारें इन हादसों से कब सबक लेंगी?

आइए जानते हैं कि हैकिंग के भूत से कैसे बचें?

इस तकनीकी लेख का यह टाइटल मैंने इसलिए दिया है, क्योंकि अक्सर पाकिस्तानी या चीनी हैकर भारतीय वेबसाइटों को हैक कर उस पर भूत और चुड़ैल की तस्वीर बना देते हैं और लिख देते हैं पाकिस्तान जिंदाबाद या फिर भारत के बारे में गलत बातें! कई बार तो सरकारी वेबसाइटें भी हैक की गई हैं और इसलिए वक्त बेवक्त यह मामला उछलता ही रहता है। हाल-फिलहाल हैकिंग का मामला इसलिए ज्यादा चर्चित हुआ है क्योंकि कांग्रेस के ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट के साथ-साथ पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट भी हैक हो गया था। इसके कुछ ही दिनों बाद यह खबर देखी कि भारत के भगोड़े व्यापारी विजय माल्या का ट्विटर अकाउंट भी हैक कर लिया गया है। जाहिर तौर पर एक-एक करके मामला गंभीर होता जा रहा था और इस कारण अतिरिक्त सावधानी बरतने पर हम सभी को अवश्य ही विचार करना चाहिए।
अगर शुरुआती स्तर पर देखा जाए तो हैकिंग की अधिकांश घटनाएं हमारी स्वयं की गलतियों का ही परिणाम होती हैं, खासकर फेसबुक, ट्विटर या कोई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जिसमें आपका अकाउंट है, वह यदि हैक होता है तो आप मान कर चलें कि 99.99 फ़ीसदी उम्मीद यही रहती है कि इसमें आपकी गलती हो, क्योंकि फेसबुक या ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म अतिरिक्त रूप से सुरक्षित होते हैं। हाँ, यदि कहीं पब्लिक कंप्यूटर पर लॉगिन करते समय अगर आपका पासवर्ड कोई स्टोर कर ले, या फिर आप द्वारा लिखे गए पासवर्ड को कोई चुरा ले, किसी आसान पासवर्ड को हैकर्स गेस कर लें, तो फिर मामला दूसरा हो जाता है।
पासवर्ड लीक होने का जो सबसे बड़ा खतरा होता है, वह फिशिंग के कारण उत्पन्न होता है। मतलब, आपके ईमेल पर एक लिंक आता है, जिसे क्लिक करने पर हूबहू ट्विटर, फेसबुक या जीमेल का लॉगिन पेज खुल जाता है। आप भ्रमित होकर वहां अपना यूजर आईडी और पासवर्ड डालते हैं और फिर वह डिटेल हैकर्स के पास आसानी से पहुँच जाती है। इससे बचने के सामान्य उपायों में यही है कि आप किसी भी यूआरएल को टाइप कर के खोलें, न कि किसी अनजान द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक करके! खासकर, वैसी वेबसाइट तो बिलकुल भी लिंक पर क्लिक करके न खोलें, जिसमें यूजरनेम या पासवर्ड डालना हो! इसके अतिरिक्त, यूआरएल में http की बजाय https का होना आपकी जानकारी को और भी सिक्योर बनाता है।
सामान्य रूप से फेसबुक, ट्विटर, जीमेल या दूसरे बड़े प्लेटफॉर्म https यानी सिक्योर सर्वर का प्रयोग ही करते हैं। बात जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से अलग हटकर पर्सनल वेबसाइटों की करते हैं तो यहाँ, सर्वर, वायरस और प्रोग्रामिंग जैसे फैक्टर भी कार्य करते हैं और यहाँ आपको अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता पड़ती है। यह मुमकिन है कि आप कोई अनसेफ वेबसाइट खोलें और आपके कम्प्यूटर में मालवेयर डाऊनलोड हो जाए और आपके तमाम डेटा को करप्ट कर दे अथवा आपकी गैर जानकारी में आपकी इनफार्मेशन अनजान लोकेशन्स पर भेज दे! इसके लिए रेपुटेड कंपनियों का एंटीवायरस इस्तेमाल अवश्य करें, तो समय-समय पर अपने पीसी को स्कैन भी करते रहें। और भी सुरक्षित रहना चाहें तो उन वेबसाइट पर दोबारा विजिट ही न करें, जिन्हें खोलने भर से या उस पर कहीं भी क्लिक करने से ढेर सारे पॉप-अप विंडोज खुल जाते हों! अगर कोई वेबसाइट आपके बन्द करने के बावजूद ब्राउजऱ में बन्द नहीं हो रही है, तो तत्काल अपने पीसी को पावर बटन दबाकर शट डाउन करें (डायरेक्ट शट डाउन उचित रहता है, न कि मैन्युअल, ताकि कोई मैलवेयर स्टोर होने से पहले आपका कंप्यूटर उसे रिजेक्ट कर दे।) हालाँकि, कई मामलों में यह ट्रिक कामयाब नहीं होती है, किन्तु मैंने कई मामलों में इस ट्रिक को कारगर पाया है।
कांग्रेस ने अपने अकाउंट हैक होने के बाद सीधे-सीधे दक्षिणपंथी समर्थकों या भाजपा समर्थकों पर आरोप लगा दिया कि यह उनकी ही कारगुजारी है, किंतु बात अगर भाजपा की ऑफिशियल वेबसाइट बीजेपी डॉट ओआरजी की करते हैं, तो खुद उस पर प्रतिदिन सैकड़ों साइबर हमले होते हैं। मतलब साफ़ है कि कोई भी साइबर हमलों से मुक्त नहीं है और हर एक को उससे निपटने के लिए साधारण और स्पेसिफिक नियमों का पालन करना ही पड़ता है। आज यह आम चलन हो गया है कि किसी नेता का ब्लॉग, वेबसाइट या फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया अकाउंट कोई थर्ड पार्टी मैनेज करती है। यह कोई फ्रीलांसर या कंपनी हो सकती है। कांग्रेस या भाजपा या फिर हैकिंग के शिकार दूसरे लोगों को यह समझना चाहिए कि जितने अधिक लोगों को संवेदनशील जानकारियां, पासवर्ड पता होंगे, उसके लीक होने के चांसेज भी उतने ही बढ़ जायेंगे।
कई डिजिटल एजेंसियां इस मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतती हैं और उनको भी पासवर्ड देने से परहेज करती हैं, जिनका वह कार्य करती हैं।
वेबसाइट के मामलों में सर्वर पर फ़ायरवॉल एक बेहतर विकल्प होता है। cloudflare.com  जैसी कंपनियां इस मामले में बढिय़ा सलूशन देती हैं और अगर आपकी वेबसाइट संवेदनशील है तो सिक्योरिटी के मामले में आपको समझौता नहीं करना चाहिए।

अधिकांश वेबसाइट और ऑनलाइन माध्यम आपको टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन की सहूलियत भी देते हैं। यह OTP की तरह होता है और आपको अवश्य ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे सुरक्षा परतें और भी मजबूत हो जाती हैं। ध्यान रहे, हैकर्स आज के समय में बेहद स्मार्ट टेक्निक्स अपनाते हैं, मसलन 'ब्लैक हैट हैकर या क्रैकर' जैसे खतरनाक हैकर जो अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वर्षों तक किसी कम्प्यूटर की निगरानी करते रहते हैं। सामान्यत: यह उद्देश्यपरक हैकिंग होती है और बहुत संभव है कि राहुल गाँधी या कांग्रेस का अकाउंट इस तरह के हैकर्स का ही कार्य हो। इसी तरह, व्हाइट हैट हैकर्स (जिज्ञासावश किसी कम्प्यूटर की छानबीन करने वाला), हैक्टिविज़्म (किसी सामाजिक या राजनीतिक प्रकार के संदेश को नेट के जरिए प्रचारित करने के लिए हैकिंग का सहारा लेने वाला), पोर्ट रीडायरेक्शन (फायरवॉल या प्रॉक्सी सर्वर द्वारा एक आईपी एड्रेस या पोर्ट से दूसरे की ओर नेट यातायात का रुख मोडऩे की क्रिया), एक्स्प्लॉइट (ऑपरेटिंग सिस्टम या एप्लिकेशन में कोई ऐसी खामी, जिसे हैकर पकड़ लें), ट्रॉजन हॉर्स (कोई निषिद्ध या अनधिकृत कार्य करने वाला सॉफ्टवेयर, जो ऊपर से देखने में बढिय़ा प्रतीत होता है), रैन्जमवेयर (फाइल कैप्चरिंग और वसूली) जैसी तमाम शब्दावलियाँ प्रचलन में हैं, किन्तु सभी का उद्देश्य यही रहता है कि कैसे कमियों का फायदा उठाकर आपके सिस्टम या वेबसाइट, सोशल मीडिया अकाउंट में घुसा जाए। एंटी-वायरस या ऑपरेटिंग सिस्टम कंपनियां अपने स्तर पर जो करती हैं सो करती ही हैं, किन्तु हैकिंग से बचने के लिए ऊपर बताये गए तमाम सावधानियों को आप द्वारा अवश्य ही आजमाया जाना चाहिए, अन्यथा आप मानसिक, आर्थिक नुक्सान उठा सकते हैं, इस बात में दो राय नहीं!

25 दिसंबर 2016

बुद्ध धर्म के बारे में एकत्रित और खोजी गयी अद्भुत जानकारियां

 बुद्ध , बौद्ध धर्म, और भगवन बुद्ध

(लेखन का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को आहत करना बिलकुल भी नही है , यह सिर्फ जनश्रुतियों और जातक कथाओं को समझने का प्रयत्न भर है )
लोगो को सत्य अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले गौतम बुद्ध को मानने वाले भारत समेत दुनिया में करोड़ो लोग हैं,
परंतु आज एक नयी बात आपको बताते है कि भगवान बुद्ध जो विष्णु के 9 वें अवतार माने जाते है और गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ) दो अलग व्यक्ति है,,
देखे कैसे-
जातक कथाओं के अनुसार अब तक गौतम बुद्ध से पूर्व 24 बुद्ध हो चुके है
जिनमे कुछ ज्ञात है
जैसे
18 वें फुस्स बुद्ध-
पिता-जयसेन, पत्नी- किसगोत्मा, 58 हाथ लंबे तथा 90 हज़ार वर्ष की अवस्था में सेताराम में परिनिर्वाण
19वें विपस्सी  बुद्ध -
पिता- बंधुम, माता -बंधुमति
पत्नी-सुतना, पुत्र-सामवत्त संघ
80 हज़ार वर्ष की अवस्था में परिनिर्वाण
20 वें शिखि बुद्ध -
पिता -अरुणाव , माता- पभवति
जन्म -अरुणावती में , पत्नी- सब्बकामा, पुत्र-अतुल
70 हज़ार वर्ष के पश्चात दस्सराम में परिनिर्वाण
21वें वेसम्भू बुद्ध-
पिता- सुप्पतित्त , माता-यसवती
पत्नी - सुचित्रा, पुत्र- सुप्पबुद्ध
60 हज़ार वर्ष के पश्चात परिनिर्वाण
22 वे कुकसंध बुद्ध
पिता-अग्गिदत्त खेमावति
माता- विशाखा
खेमावन में जन्म
पत्नी- विरोचमना
पुत्र- उत्तर
23 वें कोनागमन बुद्ध
इनके छूप का वर्णन ह्वेनसांग तथा फाह्यान ने भी किया है ,
सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 20 वे वर्ष में कोनागमंन के जन्मस्थान पर बने छूप को दोगुना बढ़ किया था ,
24 कश्यप बुद्ध 
इनका जन्म सारनाथ में हुआ था
इनके तीर्थो का वर्णन भी ह्वेनसंग ने किया है,
और अब आते है शाक्यमुनि अर्थात
25 वे  बुद्ध- गौतम बुद्ध
बचपन का नाम -सिद्धार्थ
पिता-सुद्धोधन
माता-महमाया
जन्म 563 बी.सी. कपिलवस्तु लुम्बिनी के जंगलों में
पिता सुद्धोधन साक्यकुल के प्रमुख थे,
इनकी पत्नी -यशोधरा   राजा सुप्पबुद्ध  या दंडपाणि शाक्य की पुत्री थी,
संभवतः सर्वप्रथम बुद्ध
विष्णु के 9 वें अवतार के रूप में प्रतिष्टित -भगवन बुद्ध
इनकी माता -अंजना
पिता-हेम्सदन
जन्म स्थल -गया(बिहार)
श्री मद्भागवत पुराण और नरसिंह पुराण के अनुसार भगवन बुद्ध लगभग 3000 बी.सी. इस धरती पर आये थे,
विद्वानों का एक समुदाय वैदिक काल को करीब 2000 बी.सी. आर्यो के आगमन से मानता है, परंतु कई उत्खननों के आधार पर कई विद्वान् जैसे डेविड फ्राले, बी बी लाल, एस आर राव, सुभाष काक और अरविंदो
वैदिक सभ्यता की शुरुवात भारत में 3000 से 4000 बी.सी. तक माना है, क्योकि आर्यो के बाहर से आने का कोई प्रमाण नही मिला है,
बाल गंगाधर तिलक जी ने भी वैदिक सभ्यता को करीब 6000 बी.सी. माना है
गौर करने वाली बात ये है कि
लिखित वर्णन के अनुसार बुद्ध (गौतम / भगवान) ने
गुरु विश्वामित्र से वेद, उपनिषद, राजधर्म, और युद्ध की शिक्षा ली थी,
और ये गुरु विश्वामित्र ऋग्वेद के अनुसार राजा गाधि के पुत्र एक कुशल नरेश थे जिन्हें बाद में राजऋषि की उपाधि मिली थी , ये गुरु वशिष्ठ और श्री राम के समकालीन थे , ये गायत्री मंत्र( सूर्य स्तुति) के ज्ञाता थे,
इस तरह इनका समय 3000 बी.सी. (ऋग्वैदिक काल) माना जा सकता है
और यही काल श्रीमद भागवत और नरसिंह पुराण के अनुसार भगवान बुद्ध का समय है,
और एक गौर करने वाली बात यह है कि
बौद्ध धर्म के महायान के धर्मग्रंथ 'ललित विस्तार सूत्र' के 21 वें अध्याय के 178 वें पृष्ठ पर वर्णित है कि
" यह मात्र एक संयोग है कि गौतम बुद्ध ने उसी स्थान पर तपस्या की जिस स्थान पर भगवान बुद्ध ने तपस्या की लीला की थी,
सन 1807 में रामपुर में प्रकाशित अमरकोश में H.T. क्लब्रूक ने भी गौतम बुद्ध और महात्मा बुद्ध को अलग अलग बताया है,
बुद्ध एक पदवी है जिसे कोई भी मनुष्य अपने कर्मो से प्राप्त कर सकता है
एक और ज्ञान की बात
बौद्ध ग्रन्थ जातक कथा में वर्णित अगले भावी बुद्ध
"मैत्रेय"है

22 दिसंबर 2016

तो फिर असफल होगी यह योजना - काला-धन उजागर

अभी तो यह भविष्य के गर्भ में है  की काला धन ख़त्म करने की योजना कारगर हुई या नही, किन्तु अभी यह योजना “पूरा देखिये जात, आधा लीजिए बाँट” को चरितार्थ कर रही है और digidhan की तरफ मुड चुकी है |इससे पहले भी कई बार काला-धन उजागर करने की योजनायें आई किन्तु सभी संभावना से कम ही सफल हुई है इसका कारण था भय बिनु होई न प्रीति, किन्तु अभी तो भय भरपूर है, नोट बंदी का भय, लाईनों में लगने का भय बैंकिंग अधिकारीयों के प्रश्नों का भय | परन्तु राजनितिक पार्टियों को नोट बदलने की खुली छूट देने की गलती(भले ही वह विधिमान्य हो) असहनीय है क्योंकि खुद प्रधानमंत्री के द्वारा लोगों को यह विश्वास दिला दिया गया था की नोट बंदी से राजनितिक-कालाधन भी बाहर आएगा | क्योंकि सभी को पता है की राजनितिक-कालाधन, अभी तक प्राप्त कालेधन से कई गुना ज्यादा है | यदि सरकार की इच्छाशक्ति हो तो एक अध्यादेश राजनितिक पार्टियों पर भी लाया जा सकता है(जो की शायद असम्भव ही है) | और तो और  कालाधन को सफ़ेद करनें में बैंकिंग अधिकारियों की संलिप्तता भी इन योजनाओं के नाकामी का प्रमुख कारण होगी|

19 दिसंबर 2016

साइबर सुरक्षा- 2nd- ऑनलाइन हैकिंग से कैसे बचाएं अपनी मेहनत की कमाई?

साइबर सुरक्षा त्रय की 2nd कड़ी 

ऑनलाइन हैकिंग से कैसे बचाएं अपनी मेहनत की कमाई?

1-       सबसे पहले आप अपने फेसबुक ट्विटर या इस तरह की सोशल साइट्स से अपनी डेट ऑफ़ बर्थ (जन्म दिन ) या तो छुपा दे या बदल दे,
2-      दूसरा काम आपको ये करना होगा की अपने बैंकिंग में प्रयोग होने वाले न० से कोई सोशल साईट न चलाये,
3-      अगर आपके पास BSNL का न० है तो उसे अपने बैंकिंग प्रयोग में प्राथमिकता दे, क्युकी BSNL की डुप्लीकेट सिम निकालना सरल नही है,
4-      बैंक में प्रयोग होने वाला EMAIL-ID से कोई और काम न करे किसी को भी मेल या किसी का मेल रीड करना ( बैंक मेल छोड़कर).
5-      एक A/C की मानसिकता से बाहर निकले और 2-3 अलग अलग बैंकों में 4-5 अकाउंट  में अपनी जमापूंजी बांट के रखे , जिससे अगर किसी बैंक में साइबर जालसाजी की समस्या आती है तो आपकी कमाई एक साथ न चली जाये ,, इसलिए धन को बाँट के रखे,
6-      बड़ी लिमिट वाले एक-दो  क्रेडिट कार्ड के बदले में आप छोटी लिमिट के 4-5 क्रेडिट कार्ड यूज़ करे, क्रेडिट कार्ड की लिमिट कम हो भले ही क्रेडिट कार्ड ज्यादा हो/
7-       ATM प्रयोग करते समय सावधानी बरतें.
8-      ATM पिन और OTP के लिए विशेष सावधानी बरते.
9-      फ़ोन कॉल ,whatsapp, मैसेज, या फेसबुक पर अपना ATM पिन / OTP कभी किसी को भी न बताये भले ही आप उसे जानते हो, क्युकी एयर-फ़ोन-टैपिंग के जरिये आपका पिन किसी और को भी मिल सकता है,,
10-   अगर बताना बहुत ज्यादा जरुरी हो तो, तत्काल पिन बदलने की व्यवस्था रखें, जैसे उसे पिन तब बताये जब वो एटीएम केबिन में हो और उससे बोल दे पिन तुरंत बदल दो और कार्ड वापिस करते समय बता देना,
11-     ऑनलाइन बैंकिंग का यूज़ पर्सनल कंप्यूटर पर करे, और खुद के IP से ही करे ( VPN का यूज़ करके अगर ip address छुपा के न करें)
12-    बिना टिकट ख़रीदे आप लाटरी नही जित सकते है ,इसका ध्यान रखें,
13-    बैंक पासबुक की zerox का प्रयोग डॉक्यूमेंट के रूप में जहा तक हो सके न करे,
14-   अपने आधार ,पैन, वोटर  कार्ड की zerox कही पर छोड़े नहीं, न ही किसी अनजान को दिखाए,
15-    सिम कार्ड, सिम के ऑफिस (जैसे आईडिया-पॉइंट, बीएसएनएल-ऑफिस, एयरटेल पॉइंट) से ही ख़रीदे, यहाँ पर आपके आईडी का मिस-यूज होने के चांस कम होते है.
16-   मोबाइल के एप्प को कस्टमाइज करे और उसे अपने कॉल, मैसेज, कांटेक्ट, को रीड करने वाले आप्शन को बंद कर दे, (ये एंड्राइड मर्शमैलो में आप्शन है)
फिर भी अगर आप साइबर जालसाजी का शिकार हो जाते है तो क्या करें ??

16 दिसंबर 2016

साइबर सुरक्षा -1st- साइबर फ्रॉड से बैंको में कितनी असुरक्षित है हमारी मेहनत की कमाई ?

साइबर सुरक्षा की 1st कड़ी  

साइबर फ्रॉड से बैंको में कितनी असुरक्षित है हमारी मेहनत की कमाई ?


साफ़ सुथरी अर्थव्यवस्था और बेहतर जीडीपी के लिए हम भारतियों ने डिजिटल भुकतान को अपनाने में कोई कोताही नहीं बरती है/
पर क्या जिस रफ़्तार से लोग डिजिटल भुकतान अपना रहे है या अपनाने को मजबूर हो रहे है,उसी रफ़्तार से सरकार उन पेमेंट सिस्टम की सुरक्षा के इंतजाम कर रही है या नहीं?
इसका जबाब सीधा और बहुत डरावना है, “नहीं” बिलकुल भी नहीं,
हमारी पुलिस या हमारी साइबर सुरक्षा प्रणाली के पास वो ताकत या यूँ कहिये ढांचा ही नहीं है की साइबर फ्रॉड से गए पैसों को वापिस दिला सके, ये तो ये भी नही बता सकते की किसने चुराए है/
  • ·         यु०एस० का जेपी मॉर्गन बैंक साइबर सिक्यूरिटी पर सालाना $ 300 मिलियन, करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च करता है, इसके बावजूद वो सन 2014 में हैकिंग का शिकार हो गया था/

क्या भारत में कोई बैंक साइबर सुरक्षा पर इतना खर्च कर सकता है?
  • ·         दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन चोरी मार्च 2106 बांग्लादेश के सेन्ट्रल बैंक से हुई 81 मिलियन डॉलर की रकम हैक की गयी,आज तक यह रकम  पूरी तरह वापस नही आ पाई है/

बैंक अपना पैसा हैकरों से वापस नहीं ला सकता/ क्योंकि इन ऑनलाइन लुटेरों को पकड़ना आसान नहीं होता/
  • ·         अभी 4 दिसम्बर 2016 में रूस की सेंट्रल बैंक से हैकरों ने 2 अरब रूबल मतलब 2 अरब 11 लाख रुपये की चोरी की/
  • ·         अक्टूबर 2016 में भारत के 32 लाख डेबिट कार्ड की गुप्त जानकारी चोरी की गयी ,      NPCI के अनुसार 641 बैंक ग्राहकों के करीब 1 करोड़ 30लाख की रकम लूटी गयी/                         भारत में पिछले 5 सालों में 27 PSU बैंको से करीब 30 हज़ार करोड़ का साइबर फ्राड हुआ है/


कितनी असुरक्षित है हमारी मेहनत की कमाई, और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वालों के हालत क्या है वो देखिये-


  • ·         एटीएम अपग्रेड करने की जिम्मेदारी बैंको की होती है, पर आज भी 75% ATM बेहद असुरक्षित  आउटडेटिड विन्डोस xp पर चल रहे है/ इन्हें हैकर आसानी से हैक कर सकते है/
  • ·        भारत की इकलौती साइबर कोर्ट “साइबर अपीलेट ट्रिब्यूनल” (कनाटप्लेस-डेल्ही इसकी बिल्डिंग का किराया करीब 30लाख रुपये/माह है) में 30-जून-2011 से किसी जज की नियुक्ति ही नहीं हुयी है, जिससे इस न्यायालय में कोई जजमेंट नहीं दिया गया,

सभी राज्यों के हाई-कोर्ट में गए साइबर मामले यहीं पर ट्रान्सफर कर दिए जाते है और फिर भुक्तभोगी को सिर्फ तारिख मिलती है,
  • ·         BCSBI के गाइडलाइन्स के मुताबिक बैंक और ग्राहक दोनों की गलती ना होने पर साइबर फ्रॉड में बैंक एक बार 5000 रुपये की भरपाई करेगा, (सिर्फ एक बार 5000 रूपये)
  • ·         राज्यों में पुलिस के पास साइबर फ्रॉड की जानकारी का नितांत आभाव है, इन्हें खुद ही नहीं पता होता की क्या करना चाहिए/
  • ·         बैंको के बीच भी तालमेल ठीक नहीं है, किसी दूसरे बैंक के ATM से गड़बड़ी होने पर ग्राहक दो बैंकों के बीच चक्कर काटता रहता है/
  • ·         भारत में “डाटा प्राइवेसी रेगुलेशन” नहीं है/
  • ·         बैंकों के लिए रेगुलेशन RBI है, परन्तु थर्ड पार्टी इ-वालेट एप्प के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है, इ-वालेट से गड़बड़ी की शिकायत उपभोक्ता अदालत में की जा सकती है,
  • ·         इ-वालेट मुख्यतः मोबाइल न० पर चलते है, “सिम एक्सचेंज फ्रॉड” जिसमे सिम आपके पास रहेगा लेकिन न० को किसी दूसरे सिम पर एक्सचेंज करके आपका इ-बटुवा खाली किया जा सकता है, और ये काफी आसान भी है,

इस तरह से देखा जाये तो भारत में साइबर सुरक्षा का ढांचा बहुत कमजोर और अंधकारमय है/
“सिर्फ इमारत बनायीं जा रही है नीव की तरफ कोई ध्यान नही है” 

चाहे वो एक शिक्षित शहरी हो या गाँव का एक अनपढ़ किसान कोई भी अगर साइबर फ्रॉड का शिकार बनता है तो उसके रुपये वापस मिलने के चांसेस न के बराबर होते है,

इन फ्रॉड से बचने के लिए कुछ पॉइंट.....
साइबर सुरक्षा की 2nd कड़ी में 

ऑनलाइन हैकिंग से कैसे बचाएं अपनी मेहनत की कमाई?

                                                   अगले ब्लॉग में........

14 दिसंबर 2016

इन्टरनेट, डिजिटल इंडिया को तूफ़ान, शार्क और जहाज़ों से ख़तरा है| कैसे ?


शायद आपने भी ग़ौर किया होगा कि दो-तीन दिन से इंटरनेट धोखा दे रहा है. या तो कनेक्शन नहीं मिलता, या फिर उसकी रफ़्तार बेहद धीमी है.
नोटबंदी के इस दौर में डिजिटल लेन-देन की ज़रूरत है और लंबी क़तारों से बचने के लिए इंटरनेट बड़ा सहारा साबित हो सकता है. ऐसे में चेन्नई के वरदा तूफ़ान ने देश के कई हिस्सों में ये सहारा छीन लिया है.
एयरटेल और वोडाफ़ोन जैसी मोबाइल नेटवर्क कंपनियों ने मैसेज के ज़रिए अपने ग्राहकों को बताया कि तूफ़ान ने अंडरसी (समुद्र में) केबल को नुकसान पहुंचाया है, जिसके चलते कनेक्शन में दिक्कतें पेश आ सकती हैं.
सवाल उठना लाज़मी है कि इस तूफ़ान और हमारे इंटरनेट का क्या लेना-देना? दरअसल, इंटरनेट की दुनिया समंदर ने नीचे बिछी केबल से चलती है और अगर ये केबल प्रभावित होती हैं, तो इंटरनेट कनेक्शन में परेशानी आनी तय है.
टेलीकम्युनिकेशन मार्केट रिसर्च फ़र्म टेलीज्यॉग्रफ़ी के मुताबिक दुनिया भर में समंदर के नीचे फ़िलहाल 321 केबल सिस्टम काम कर डिजिटल इंडिया को तूफ़ान, शार्क और जहाज़ों से है ख़तरारहे हैं. इनमें कुछ निर्माणाधीन हैं और इनकी संख्या साल दर साल बढ़ रही है.
आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि साल 2006 में जहां सबमरीन केबल के हिस्से सिर्फ़ एक फ़ीसदी ट्रैफ़िक था, वहीं अब 99 फ़ीसदी अंतरराष्ट्रीय डाटा इन्हीं तारों से दौड़ता है.

केबल तारों को किन चीज़ों से ख़तरा?

इन केबल का इतिहास पुराना है. 1850 के दशक में बिछाई गई पहली सबमरीन कम्युनिकेशन केबल टेलीग्राफ़िक ट्रैफ़िक के लिए इस्तेमाल होती थी जबकि आधुनिक केबल, डिजिटल डाटा के लिए ऑप्टिकल फ़ाइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. इनमें टेलीफ़ोन, इंटरनेट और प्राइवेट डाटा ट्रैफ़िक शामिल है.
आधुनिक केबल की बात करें, तो इनकी मोटाई क़रीब 25 मिलीमीटर और वज़न 1.4 किलोग्राम प्रति मीटर होता है. किनारे पर छिछले पानी के लिए ज़्यादा मोटाई वाली केबल इस्तेमाल होती है. अंटार्कटिका को छोड़कर सारे महाद्वीप इन केबल से जुड़े हैं.
लंबाई की बात करें, तो ये लाखों किलोमीटर में है और इनकी गहराई कई मीटर है. दुनिया कम्युनिकेशन, ख़ास तौर से इंटरनेट के मामले में इन केबल पर निर्भर करती है और इन तारों को नुकसान पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं.

जापान ने पेश की थी मिसाल

चेन्नई के तूफ़ान जैसे कुदरती हादसे तो अपनी जगह हैं, लेकिन अतीत में शार्क मछलियों से लेकर समुद्र में निर्माण संबंधी उपकरण और जहाज़ों के लंगर भी इन तारों के लिए ख़तरा पैदा कर चुके हैं.
इन ख़तरों के बावजूद सबमरीन केबल, सैटेलाइट इस्तेमाल करने की तुलना में कहीं ज़्यादा सस्ती हैं. ये सही है कि सैटेलाइट के ज़रिए दूर-दराज़ के इलाकों तक पहुंचा जा सकता है, लेकिन दुनिया भर के देश अब नए फ़ाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाने में निवेश कर रहे हैं.
मौजूदा केबल नेटवर्क को मज़बूत बनाने के लिए बैकअप के लिए केबल भी बिछाई जा रही हैं. साल 2011 में जापान में आई सुनामी ने केबल तारों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था, लेकिन मज़बूत बैकअप के बूते वो ऑनलाइन रहने में कामयाब रहा.

चेन्नई और मुंबई बेहद अहम

अब बात करें भारत की. सबमरीन केबल नेटवर्क के मुताबिक़ देश में 10 सबमरीन केबल लैंडिंग स्टेशन हैं, जिनमें से चार मुंबई, तीन चेन्नई, एक कोच्चि, एक तुतीकोरिन और एक दिघा में है.
इनमें अगर भारत के दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे की बात करें, तो इस लिहाज़ से मुंबई और चेन्नई काफ़ी अहम हैं. और चेन्नई के तूफ़ान ने समंदर में ऑप्टिक फ़ाइबर को नुकसान पहुंचाकर साउदर्न इंडियन गेटवे को प्रभावित किया है.

कई अहम तारों से जुड़ी चेन्नई

सबमरीन केबल मैप के अनुसार अलग जगहों से अलग अलग फ़ासले का केबल नेटवर्क जुड़ा है.
चेन्नई बे ऑफ़ बंगाल गेटवे (8,100 किलोमीटर), सीमीवी-4 (20 हज़ार किलोमीटर), टाटा टीजीएन-टाटा इंडिकॉम (3175 किलोमीटर) और आई2आई केबल नेटवर्क (3200 किलोमीटर) जैसे केबल नेटवर्क से जुड़ा है. ये नेटवर्क उसे यूरोप और दक्षिण एशिया से जोड़ते हैं.
इसके अलावा मुंबई को जोड़ने वाले अहम केबल नेटवर्क का नाम है यूरोपा इंडिया गेटवे, जिसकी लंबाई क़रीब 15 हज़ार किलोमीटर है.
मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के मुताबिक उनके इंजीनियर केबल में आई ख़ामियों को दूर करने की कोशिश में जुटे हैं और जल्द ही इस समस्या को दूर कर दिया जाएगा.

लेकिन जब तक वरदा की चपेट में आई केबल ठीक नहीं होतीं, आपका इंटरनेट हौले-हौले ही चलेगा. साभार -बीबीसी 

12 दिसंबर 2016

महान लोगों की आलोचना क्यों जरुरी है

महान लोंगो के पीछे अनुकरण करने वालो का समूह होता है जिससे महान लोंगो की एक छोटी भूल भी कई लोंगो को पथ से भटका सकती है, भले ही यह भूल एक बहुत छोटी सी भूल हो तो भी उस भूल को भी बहुत बड़ी भूल ही कहा जायेगा /
फिर चाहे वो श्री राम हो श्री कृष्ण हो , बुद्ध , महाबीर, ईसा, मुहम्मद साहब या कोई भी हो ...........
महापुरुष सिर्फ पूजा के लिए नही होते है

महापुरुषो पर विचार न करेंगे तो उनका हमारे जीवन से स्पर्श ही नहीं रहेगा , विचार करेंगे तो आलोचना होगी,
और आलोचना में नए विचारो का सृजन होगा जो स्वयं और समाज को सही पथ पर ले जायेगा / .
विचार योग्य बात ये है की .... कही न कही हमसे कुछ गलतियां हो रही है जो हमारे देश की इस हालत की जिम्मेदार है /