बेरोजगार
युवको के यहाँ वहा भटकते कृशकाय ढांचे, जिनके चेहरों पर वर्षों की हताशा और निराशा
ने समय पूर्व ही झुर्रियां डाल रखी है,
सड़क किनारे बिखरा कूड़ा और उसमें भोजन का जुगाड़ करते कुछ अत्यंत मैले कपड़ो में भूख
से परेसान लोग और पोलीथिन सहित कुछ जूठन खाने को आतुर आवांरा पशु – ये भी हमारी भारत
माँ की एक तस्वीर है,
मंदिर
के पास कूड़े का ढेर, गन्दगी में बसे हुयी बस्तियाँ और उसमे रहने वालें हजारो लोगो
की पानी के लिए लगती लम्बी कतारे, और कतार दृष्टी से देखते उनके स्कूल न जाने वाले
बच्चे, इस भीषण गर्मी में एयर कंडीशन कार में बैठे लोगों से भीख मांगती वो औरत जिसे
बिलकुल परवाह नही की उसके बच्चे को कितनी धूप लग रही है- क्या भारत माँ का एसा
दृश्य आपके सामने से नही गुजरा,
किसानों
का पर्यायवाची बन चुका गरीबी आत्महत्या, देश के पोर पोर को चबाता कर्मचारियों का
भ्रष्ट आचरण, गन्दी राजनीती चमकाने के लिए सरकार की सही नीतियों का भी विरोध करने
वाले नेता, दामन को साफ़ रखने के चक्कर में सिपाहियों की भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज
का दमन करते अधिकारी, - क्या आपने कभी नही महसूस किया भारत माँ का यह दर्द
देश की
सम्पति लूटने वाले नेता और सजा पाए बाहुबली को सिर्फ टी.आर.पी. के लिए महिमा मंडित
करता न्यूज़, और ऐसे देशद्रोही सजायाफ्ता लोगों के पीछे तलवे चाटते समर्थक, कमजोरों
के लिए भावना खोते जा रहे लोग –क्या यही हमारे सपनो का भारत है?..